सरकारी तंत्र ईमानदारी से काम करे,
तो समस्याही न रहे …
क्या है यह मामला ?
मेरे पिताजीने संन १९८६ में पुणताम्बा गांव के सर्वे नंबर १११ में एक हजार अस्सी चौरस फिट जमीनका टुकड़ा ख़रीदा था। आज की तारीख में हमारे हाथो में बहुत पैसा है। पर उस समय घर ग्रहस्ती संभलकर जो कुछ बचा पाते उससे यह जमींन का टुकड़ा ख़रीदा था।
दुर्भाग्यसे यह जमीं का टुकड़ा मेरे निवास से सौ मिटर पर होने के बावजूद उस पर हो रहे अतिक्रमण को हम रोक नहीं पाए। और कायदे कानून की जानकारी होकर भी जब होगा तब देख लेगे इस मानसिकता ने कानून की धज्जिया उडानेवालो को मेरी जमींन पर अतिक्रमण सफलता दे दी।
जहाँ तक मुझे याद है ,मैंने सन २००८ के दिसंबर में पुणतांबा ग्रामपंचायत को मेरी पड़ी ज़मीन पर अतिक्रमण की तैयारी की जा रही है इस की सूचना दे दी थी। पर तब के प्रशासन ने मेरी शिकायत को गंभीरतासे लिया नहीं और अतिक्रमण हो जाने दिया।
तब से लेकर चल रहे मेरे संघर्ष पर पहली कार्यवाही ३१ जनवरी और एक फरवरी २०१८ के दिन पूरी हुयी। जिसके चलते शिरडी भूमि अभिलेख अधिकारी योगेश बड़वेने मेरे सिटी सर्वे नम्बर १११ पर बने सभी क़ानूनी गैर क़ानूनी,अवैध निर्माणों के क्षेत्र की गिनती कर नक्शा बनाने का पहला कदम उठाया। उस विभाग की कार्यवाहिने मेरी जमींन से अतिक्रमण हटाने का रास्ता खोल दिया हैं। देर आये दुरुस्त आये। …
।। वन्दे मातरम।।