मैं भी नहीं अकेला
हर श्याम नदी किनारे मिलनेवाली शांति।
मन को अगले दिन के लिए तरोताजा करती है।
इस जीवन में आधुनिकता का आभाव जरूर महसूस होगा।
पर यहाँ की जिंदगी।
इस आधुनिकता के दुष्परिणामों से कोसो दूर है।,
अपनी यादों को आँखोसे ओझल न देनेवाली श्याम,
इन्ही गांवो में नसीब होती है।
बढ़ती उम्र के आखरी पड़ाव में ,मुझे मेरा बचपन याद आया
तो गांव चला आया ,देखा तो पता चला जहा पानी पिया था कभी तपती धुप में
आज वह झरना ही नहीं रहा। फिर भी पता नहीं यह नदी किनारा मेरे दिल को सुकून कैसे दे जाता है।