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Words that rhyme with girl |
बेटी बढ़ाओ बेटी पढ़ाओ।यह विडम्बना है
हमारे लिए यह श्लोगन क्या और क्यों मायने रखता है। जब के हम लोग बेटियोंकी सुरक्षा के लिए जरा भी सजग नहीं है। यह श्लोगन हमारे लिए बेटियों को जन्म देने के लिए बनाया गया है।उसे सुरक्षा देने की या उसे मुक्त जीवन देने की आजादी देने के लिए नहीं बनाया है। तभी जाकर आज भी लाखो बच्चियां शिक्षा के लिए कोसो दूर सायकिल ,पैदल,भीड़भाड़वाली बसों में सफर करती है। अगर इनसे बचती है तो शिक्षासे दूर हो जाती है। और इस वास्तविकतामे यह श्लोगन कब दम तोड़ जाता है पता भी नहीं चलता।फिर भी हम इसे रटते रहते है। यह विडम्बना है।
मुझे साईबाबा संस्थान जैसे धनिक संसथान की शिक्षा संकुल में सीसीटीव्ही कैमरा लगवाने के लिए चार साल तक संघर्ष करना पड़ा. जब के महाराष्ट्र सरकारने स्कूलों के परिसर में कैमरा लगाने का नियम बनाया था. मुंबई हाईकोर्ट ने स्कूलों और स्कुल बसोमे सीसी टीव्ही कैमरे लगाने का आदेश जारी किया था। जिन के यहाँ दो हजार करोड़ के फिक्स डिपॉजिट है उन्ही के स्कूलों में यह सुरक्षा इंतजाम करवाने को लेकर मुझे संघर्ष करना पड़ा। मेरे इस अनुभव ने इस श्लोगन के मायने बदल दिए।
क्या थी पिंकबस की योजना
इस के बाद मेरे बच्चियोंके सुरक्षा और स्कुल ना छूटे इसके लिए संघर्ष शुरू हुवा है इसे भी करीब चार साल हो चुके है। इन चार सालो में साईबाबा संस्थान में रूबल अग्रवाल नामकी महिला आई ए एस ने दो साल यहाँ सी ई ओ के पद पर काम करते हुए दो साल बिता दिए पर मैंने बच्चियों के सुरक्षा और उनकी शिक्षा न अधूरी न रहे इस के लिए ” पिंक बस ” का कॉन्सेप्ट को शुरू नहीं कर पायी। महिला होकर भी बच्चियों की सुरक्षा और शिक्षा के मुद्दे पर गंभीरतासे क्यों सोच नहीं पायी ? यह सवाल मेरे मन मस्तिष्क में आज भी जबाब ढूंढ रहा है।
मेरा ” पिंक बस ” कॉन्सेप्ट यह था के शिरडी साई संस्थान शहर से चलने वाले नगर मनमाड इस हायवे के दोनों दिशा में याने के पूर्व और पश्चिम से केवल लड़कियों के लिए पिंक कलर की बस चलाए और उस हाइवे पर दोनों तरफ तीन तीन बस स्टॉप बने जो केवल छात्राओंके लिए बने। और वहासे पूरब और पश्चिमसे लाई बच्चियां दूसरे बस से स्कुल कॉलेज तक जाये। और यह सर्विस पूर्णतः मुफ्त हो।
दुर्भाग्य से आज तक मुझे इसके लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसी को जोड़ कर साईबाबा शिक्षा संस्था के विस्तार का नया प्रोजेक्ट मैंने तैयार किया है उसका रेप्रेसेंटेशन किया है। आशा करते है साई जल्द ही इसे शुरू करवाने की बुद्धि प्रशासन चलनेवालों को प्रदान करेंगे।
आज की तारीख में साईबाबा संस्थान दो बस चला रही है ,जिस में अस्सी से ज्यादा कॉलेज छात्राये सफर करती है। वास्तव में जरुरत चार बसों की है।
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